लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८- श्रेय

१४- श्रेया की जान खतरे में -
श्रवन और उसके परिवारी जन बहुत ही उदास मालूम पड़ते थे। सबके चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई थी। और चिंता के भाव स्पष्ट रूप से देखे जा सकते थे। श्रवन की आंखें रो-रोकर लाल हुई पड़ी थी। उसके बहुत दुख और चिंता हो रही थी। अपनी पत्नी श्रेया को वह बहुत प्यार करता था।श्रवन रो रोकर कह रहा था कि मैं श्रेया के बिना नहीं जी पाऊंगा।कहते हुए श्रवन अपनी मां से लिपट गया। श्रेया की चिंता उसे अंदर ही अंदर खाए जा रही थी।श्रवन टूटकर बिखरता नजर आ रहा था।श्रेया कि सासू मां भी अपनी बहू के लिए रोरोकर बहुत दुखी थी।उनके मुंह से बार बार एक ही शब्द निकल रहा था कि मैंने ही श्रेया से मां बनने की जिद की थी। यदि मैंने बच्चे के लिए जिद नहीं की होती,तो शायद श्रेया की यह हालत नहीं हुई होती। वह अपने आप को दोषी मानकर खुद को ही बुरा बोल रही थी। पर इन सबसे क्या फायदा श्रवन ने मां को समझाया। परंतु श्रेया की वजह से बच्चे पर तो किसी का ध्यान ही नहीं जा रहा था। वह किस हाल में है उसे कोई देख भी नहीं रहा था। वह  तो अस्पताल के स्टाफ के पास ही था और उसकी देखरेख अस्पताल का स्टाफ ही कर रहा था।श्रेया को होश ही नहीं आ रहा था। डॉक्टर के चेहरे पर गहरे विषाद के भाव थे। जिन्हें देखकर समझा जा सकता था।कि श्रेया खतरे में है, उसकी जान को बहुत खतरा है। डॉक्टर के चेहरे को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता था। कि पता नहीं श्रेया बचेगी कि नहीं, परंतु हम सब अपनी कोशिश में लगे हुए थे। इस मुश्किल की घड़ी में किसी को श्रेया  के माता-पिता को खबर करने के लिए याद ही नहीं रहा था। तभी अचानक श्रवन के मन में यह बात आई। कि श्रेया के माता-पिता को खबर कर दी जाए और उसने तुरंत मां से कहा- मां ने कहा, हां जल्दी से श्रेया के माता-पिता को खबर करो और उनको तुरंत यहां बुलाओ। श्रवन ने  तुरंत फोन निकालकर अपने सास-ससुर को फोन किया। उधर से श्रेया की मां ने फोन उठाया और हेलो कहते ही श्रवन फूट-फूट कर रोने लगा।श्रवन को रोते देख श्रेया की मां का दिल बैठने लगा। और उन्होंने सबसे पहले यही पूछा- क्या हुआ, कुछ तो बताओ,  कैसी है श्रेया, वह ठीक तो है। कुछ तो बोलो श्रवन रोए ही जा रहा था उसकी आंखों से अश्रुधारा अविरल अविराम बहती जा रही थी ।और उसके मुख से शब्द नहीं निकल रहे थे। श्रवन बोलना चाहता था लेकिन रोने के कारण वह बोल नहीं पा रहा था।बड़ी मुश्किल से श्रवन ने अपने आप को संभाला। और श्रेया की मां को तुरंत अस्पताल आने को कहा। और कहा- बाकी सब मैं आपको यहां आने पर बता दूंगा आप तुरंत अस्पताल आ जाइए। यह कह कर श्रवन फिर से रोने लगा ।और उसने आने को कहकर फोन काट दिया।

इधर घर पर श्रेया की ननद रक्षा को कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। उसको अजीब सी अनुभूति हो रही थी। उसने भाभी से  मिलने की बहुत जिद कर रखी थी। उसे कुछ पता नहीं था। कि अस्पताल में क्या चल रहा है। कोई उसे अस्पताल नहीं जाने दे रहा था। बहुत रोकने पर भी रक्षा नहीं मानी और घर में बिना बताए चुपचाप अस्पताल पहुंच गई। अस्पताल पहुंचकर रक्षा ने जो देखा। वह देखकर रक्षा को समझते देर न लगी। कि क्या माजरा है। अस्पताल पहुंचकर उसने भाई का चेहरा देखा। भाई की आंखें रोते-रोते सूज गई थी। रक्षा दौड़कर भाई से लिपट गई और रोते हुए उसने श्रवन से पूछा- कि भाई बताओ तो भाभी को क्या हुआ है। और भाभी से मिलने की जिद करने लगी। भाई को रोते हुए देख कर, रक्षा भी रो रही थी। दोनों रोए जा रहे थे, इतने में रक्षा और श्रवन की मां वहां आ गई। रक्षा मां को आई देखकर वह  उनसे लिपट कर रोने लगी। और पूछने लगी। कि मां बताओ तो भाभी को क्या हुआ है। भाभी कहां है,सब कुछ ठीक तो है, इतने सारे प्रश्न एक साथ सुनकर मां बोली। धीरज रख बता दूंगी।

इतना कहकर रक्षा की मां की आंखों से अश्रुधारा बहने लगी। और उन्होंने रक्षा से कुर्सी पर बैठने को कहा- बैठकर उन्होंने रक्षा को बताया। तेरी भाभी का ऑपरेशन हुआ है, ऑपरेशन करके बच्चा निकाल लिया गया है। पर उसके बाद से श्रेया की हालत बिगड़ती चली जा रही है। डॉक्टर श्रेया को संभाल पाने में असमर्थ हैं। तब से  उसको होश ही नहीं आया। श्रेया की हालत बहुत खराब है, और उसके बचने की उम्मीदें भी बहुत कम है।डॉक्टर भी निराश हो चुके हैं। वह कुछ कहने की स्थिति में नहीं है,इसलिए हम सब बहुत परेशान हैं। उसकी जिंदगी की भगवान से भीख मांगते हैं, इतना सुनते ही रक्षा फफक कर रो पड़ी और उसने भाभी को देखने के लिए जिद की। 

श्रेया को ऑपरेशन थिएटर से आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया था। आई सी यू में किसी को घुसने नहीं दिया जाता था। क्योंकि  मरीजों को संक्रमण का खतरा होता था। इसलिए मां ने रक्षा को लेकर आई सी यू के बाहर पहुची। और खिड़की से श्रेया को देखने को कहा। रक्षा ने जैसे ही अंदर झांका। उसने श्रेया को पाइपों और नलियों में जकड़े देखा,ऐसी हालत देख रक्षा खड़ी न रह सकी, और बेहोश होकर जमीन पर गिर गयी। मां ने दौड़कर रक्षा को उठाया और उसके मुंह पर पानी के छींटे मारे। तब जाकर कहीं रक्षा को होश आया था। वह पागलों की तरह रो रही थी। और मां से पूछ रही थी कि मा बताइए भाभी ठीक तो हो जाएगी। भाभी की हालत देखकर रक्षा के मन में एक बार भी ख्याल नहीं आया कि बच्चे के बारे में पूछती। कि भाभी को क्या बच्चा हुआ है, लड़का हुआ है या लड़की। अब तक किसी को यह नहीं पता था। कि श्रेया और श्रवन का होने वाला बच्चा बेटा है या बेटी। क्योंकि उसके जन्म लेने के तुरंत बाद ही श्रेया की हालत बिगड़ने लगी थी, और डॉक्टर नर्स में आपाधापी मची हुई थी ।सभी श्रेया को संभालने में लगे हुए थे। इसलिए अब तक किसी को यह पूछने  का समय ही नहीं मिला। कि कोई यह पूछता कि श्रेया का बच्चा बेटा है या बेटी। क्योंकि अभी तो सभी को श्रेया की जान बचाने की पड़ी हुई है। अचानक रक्षा खड़ी हो गई, आंखें बंद की हाथ जोड़कर उसने मन ही मन भगवान से प्रार्थना की। और अस्पताल से घर की तरफ लौट  पड़ी थी। किसी को कुछ समझ में नहीं आया था, कि रक्षा के मन में क्या चल रहा है। और वह क्या सोचकर बिना कुछ कहे, अचानक घर की तरफ बहुत तेजी से लौट पड़ी थी। घर आकर रक्षा ने पिता जी को सारी बात बताई और पंडित जी को फोन किया।

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10 Comments

Palak chopra

12-Sep-2022 09:22 PM

Bahut khoob 💐👍

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Priyanka Rani

12-Sep-2022 04:33 PM

Nice post

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Kaushalya Rani

12-Sep-2022 03:37 PM

Very nice

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